करवा चौथ विशेष 27 अक्टूबर 2018


करवा चौथ विशेष  जैसा कि सभी लोग जानते हैं कि करवा चौथ पति-पत्नी के अटूट रिश्तों का प्रतीक है, लेकिन किसी भी पूजा या व्रत का सफल होना इस बात पर निर्भर करता है कि अनुष्ठान का मुहूर्त क्या है? तो आइए जानते हैं करवा चौथ की व्रत विधि और पूजा मुहूर्त के बारे में…
पूजा मुहूर्त
सायंकाल 5:47:04 से 07:04:18. बजे तक
 चंद्रोदय रात्रि 8:15:00 बजे

करवा चौथ हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध त्यौहार है जिसमें विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस साल 27 अक्टूबर 2018 को करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाएँ बड़ी धूम-धाम और श्रद्धापूर्वक करेंगी। ‘करवा’ का अर्थ मिट्टी के बर्तन‘ और ‘चौथ’ का अर्थ चार होता है। यह त्यौहार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।
करवा चौथ के व्रत का महत्व
करवा चौथ पति और पत्नी के रिश्ते के बीच के अटूट बंधन और प्रेम को दर्शाता है। पत्नियाँ अपने पति की दिर्घायु के लिए पूरे दिन निर्जला उपवास और भगवान से प्रार्थना करती हैं। सास अपनी बहु को सरगी (पाँच से सात प्रकार के खाने वाले व्यंजनों से सजी थाली) देती हैं जिसे बहु सूर्योदय से पहले खाती है। बदले में बहु के मायके से सास के लिए भी बाया (उपहार और खाने का सामान) आता है।
करवा चौथ कथा
वैसे तो इस पावन त्यौहार से कई कथाएँ जुड़ी हुई हैं, लेकिन इनमें से एक कथा बेहद प्रचलित है। कहते हैं कि ‘करवा’ नाम की एक महिला ने यमराज से लड़कर अपने पति परमेश्वर के प्राण बचाए थे। ऐसे ही अन्य कथाओं में महारानी वीरवति, महाभारत, एवं सत्यवान और सावित्री का प्रसंग भी सुनने को मिलता है। ये कथाएँ क्षेत्रानुसार लोग भिन्न-भिन्न प्रकार से सुनाते हैं।
करवा चौथ से जुड़ी परंम्पराएँ
इस त्यौहार से कई सारी परंपराएँ जुड़ी हुई है। ये परम्पराएँ विवाहित महिलाओं के लिए बेहद ही ख़ास हैं। इस त्यौहार को मनाने के लिए महिलाएँ बाज़ार से अपने श्रृंगार एवं पूजा के सामान की ख़रीदारी करती हैं। इस पर्व में सरगी की एक अनुठी और आवश्यक परंपरा है जिसके तहत सासू माँ अपनी बहु को सरगी भेंट करती है। इसमें बादाम फ़ेनिया, मिष्ठान के अलावा अन्य चीज़ें भी शामिल होती हैं। फ़ेनिया को महिलाएँ व्रत से पहले भी खाती हैं। महिलाएँ इस दिन सूर्योदय से पहले व्रत रखती हैं और चंद्रोदय के बाद ही वे अपना व्रत खोलती हैं। व्रत के दौरान अन्य जल कुछ भी नहीं लिया जाता है। यह व्रत काफ़ी कठिन माना जाता है। बाद में चाँद के दर्शन तथा अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए पूजा अर्चना बाद ही व्रत को खोला जाता है। व्रत खोलते समय महिला भोजन का पहला निवाला अपने पति के हाथों से लेती है। तब कहीं जाकर उनका यह त्यौहार पूरा होता है।
करवा चौथ पूजा विधि
सायंकाल में पूजा स्थल पर एकत्र होकर वहाँ का स्थान साफ करके मिट्टी से लीपें।
देवी पार्वती की मूर्ती पूजा स्थल पर रखें।
किसी बुजूर्ग महिला के मुख से करवा चौथ की व्रत कथा ध्यानपूर्वक सुनें।
अब करवा और पूजा थाली, जल, दीप, चावल, रोली, मठरी को एक जगह व्यवस्थित करें।
अब इस थाली को पारंपरिक गीत गाते हुए गोलाकार रूप में बैठकर एक दूसरी महिलाओं की ओर बढ़ाएँ।
उस थाली को घर के बड़े सदस्य को दें और सुख-समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
चंद्रोदय के बाद चलनी (छलनी) से अपने पति का दिदार करें उसके बाद चाँद की ओर देखते हुए पति के दिर्घायु और सफलता के लिए प्रार्थना करें।
इसके बाद पति अपनी पत्नियों को मिठाई और पानी पिलाकर उपवास को खोलें।
इस करवा चौथ दें अपनी पत्नी को ख़ास उपहार
इस करवा चौथ के अवसर पर आप अपनी पत्नी को शृंगार की ढेर सारी वस्तुएँ और उपहार स्वरूप उनकी पसंद का ख़ास गिफ़्ट देकर उनकी ख़ुशी को और भी दुगना कर सकते हैं।
इन्हीं जानकारियों के साथ आप सभी को सचिनता महाराज की ओर से करवा चौथ की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। आपके दाम्पत्य जीवन में अपार ख़ुशियाँ आएँ यही हमारी प्रभु से कामना है।
आपका दिन मंगलमय हो!